झारखण्ड में बदहाल उच्च शिक्षा की स्थिति को सुधारना सबसे जरूरी : बंधु तिर्की

झारखण्ड में बदहाल उच्च शिक्षा की स्थिति को सुधारना सबसे जरूरी : बंधु तिर्की

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रांची : राज्य के पूर्व मंत्री एवं झारखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने कहा है कि झारखण्ड में उच्च शिक्षा की स्थिति निरंतर बदहाल होती जा रही है। यह गंभीर चिन्ता की बात है। तिर्की ने कहा कि झारखण्ड में राजधानी रांची से लेकर विविध जिले और प्रखण्ड स्तर तक बेहतर उच्च शिक्षा के लिये सभी कॉलेजों में पठन-पाठन, शिक्षकों एवं गैर शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के रिक्त पदों को भरना और शैक्षणिक वातावरण को सुधारना सबसे ज्यादा जरूरी है।

उन्होंने कहा कि अभी झारखण्ड में विभिन्न विश्वविद्यालय से संबंधित कॉलेजों में स्थिति यहाँ तक परेशान करनेवाली है कि शिक्षकों के अधिकांश पद खाली पड़े हैं और अध्ययन-अध्यापन का कार्य बहुत हद तक बाधित है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि रांची विश्वविद्यालय से सम्बद्ध सिमडेगा कॉलेज, मांडर कॉलेज, कार्तिक उरांव कॉलेज बेड़ो सहित अधिकांश महाविद्यालयों में शिक्षकों की भारी कमी है और मुख्य विषयों के साथ ही जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग में भी शिक्षकों के नहीं रहने के कारण पढ़ाई-लिखाई बाधित है।

तिर्की ने कहा कि झारखण्ड गठन के बाद पिछले 25 साल में प्रदेश में उच्च शिक्षा की स्थिति में निरंतर ह्रास होता जा रहा है और अब स्थिति यह है कि छात्र-छात्राओं में निराशा की स्थिति उत्पन्न होती जा रही है और उनमें दूसरे प्रदेशों में जाकर उच्च शिक्षा प्राप्त करने की प्रवृत्ति बढ़ी है। उन्होंने कहा कि पिछले 25 साल में यदि उच्च शिक्षा की स्थिति संतोषजनक होती तो आज झारखण्ड की तस्वीर भी कुछ और ही होती। उच्च शिक्षा के हित में वर्तमान राज्यपाल की भूमिका की आलोचना करते हुए श्री तिर्की ने कहा कि माननीय राज्यपाल महोदय को झारखण्ड में बेहतर उच्च शिक्षा के वातावरण को कायम करने के लिये अपनी सकारात्मक तथा सहयोगात्मक भूमिका का निर्वहन करना चाहिये ना कि राज्य सरकार के द्वारा उच्च शिक्षा में बेहतर वातावरण के लिये उठाए जा रहे कदमों के आगे असहयोगात्मक रवैया अपनाना चाहिये. श्री तिर्की ने कहा कि रांची विश्वविद्यालय में नियमित असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति नहीं होने के मामले में माननीय झारखण्ड उच्च न्यायालय द्वारा लिया गया संज्ञान स्वागत योग्य है और इस संदर्भ में झारखण्ड लोक सेवा आयोग द्वारा सहायक प्राध्यापक की नियुक्ति के मामले में अपनी गति को बढ़ाना चाहिये ताकि उसका सटीक परिणाम ज़मीन पर नज़र आये।

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