धमतरी। भारतीय संस्कृति में पर्व का अपना एक अलग महत्व है।हर एक पर्व के पीछे अपना कुछ न कुछ धार्मिक कारण अवश्य है।और इसी धार्मिक कारण को जानकर हमारी हिन्दु संस्कृति मे, जन-मानस उस दिवस को आस्था-विश्वास और श्रद्धा के साथ धूमधाम से पर्व के रूप मे मनाता है। इस धार्मिक पर्व का सबसे बड़ा पर्व है दीपावली का।जिसे हमारे भारतीय जन-मानस बड़ी बेसब्री से प्रतिक्षा करता है। यह दीपावली का पर्व पूरे तीन दिनों तक चलता है।प्रथम दिवस धनतेरस का पर्व कहलाता है।
जो कर्तिक कृष्णा त्रयोदशी के दिन मनाया जाता है। इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा-अर्चना की जाती है।इसकी एक सुंदर कथा आती है, इसी दिन समुद्र् मन्थन के दौरान भगवान धन्वंतरि अपने हाथों मे अमृत कलश धारण करके प्रकट हुए थे।और इन्हे ही भगवान विष्णु का अंशावतार भी माना जाता है।यह मान्यता है की भगवान विष्णु ने चिकित्सा विज्ञान के प्रचार- प्रसार के ही लिए स्वयं धन्वंतरि बनकर अवतार लिया।इसी त्रयोदशी धनतेरस को दीपावली पर्व आने की सूचना माना जाता है।इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा के साथ-साथ धन के देवता कुबेर की भी पूजा-अर्चना की जाती है।इनकी प्रसन्नता के लिए पूजा कक्ष मे दीप प्रज्वलित किया जाता है।और इसी दिन मृत्यु के देवता यमराज की प्रसन्नता के लिए भी मुख्यद्वार पर दीप प्रज्वलित किया जाता है।और ऐसी मान्यता है कि धनतेरस के ही दिन अपने सामर्थ्य के अनुसार चांदी या अन्य धातु से बने पात्र खरीदना शुभ माना जाता है।क्योंकि इसी दिन भगवान विष्णु ने धन्वंतरि का अवतार लेकर अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे।और इसीलिए यह आस्था-विश्वास है की,इस दिन धातु से बने पात्र घर लाने से उससे अमृत और धन की प्राप्ति होती है।