पिछले दिनों प्रदेश के सौ से अधिक संगठनों की केंद्रीय संस्था ” झारखण्ड बांग्लाभाषी उन्नयन समिति ” द्वारा माननीय शिक्षा मंत्री महोदय को उनके जमशेदपुर स्थित आवास में प्रदेश में बांग्ला भाषा में पठन पाठन प्रारम्भ करने से संबंधित ज्ञापन समर्पित करने के दौरान,मंत्री महोदय द्वारा बतलाया गया कि प्रदेश के विद्यालयों में बांग्ला भाषी छात्र नहीं हैं, इसलिए पहले छात्र लाइए फिर हम पुस्तक एवं शिक्षक देंगे, जो सरासर गलत एवं भ्रामक है । माननीय मंत्री महोदय के इस बयान का समाज में व्यापक विरोध हुआ है और समाज के स्तर पर इसकी निन्दा करते हुए इसका घोर विरोध किया गया है। सच्चाई यह है कि प्रदेश के चौबीस में से सोलह जिलों, जो बांग्ला भाषी बहुल क्षेत्र हैं, में प्रत्येक विद्यालयों में बांग्ला भाषी छात्र मौजूद हैं, परन्तु बांग्ला भाषा में पुस्तक एवं बांग्ला भाषी शिक्षकों के अभाव में बांग्ला भाषा में पठन पाठन बन्द है, जिसका प्रतिकूल प्रभाव प्रदेश के शिक्षा व्यवस्था पर पड़ रहा है, प्रदेश में बड़ी संख्या में ड्रॉप आउट की समस्या है, जिस पर शिक्षा सचिव द्वारा चिन्ता जताई गई है। आपके पिछली सरकार द्वारा करवाए गए सर्वे में इसकी स्थिति
स्पष्ट हो गई थी,जिस सर्वे को माननीय शिक्षा मंत्री द्वारा अस्वीकार कर दिया गया है और नए सिरे से सर्वे कराने का निर्देश दिया गया है,जिसका समिति स्वागत करता है,परन्तु शर्त यह है कि सर्वे का काम तृणमूल स्तर पर सही सही तरीके से करवाया जाए।
समिति इस सम्बन्ध में आपको यह भी बतलाना चाहती है,कि झारखण्ड गठन के बाद से पिछले पच्चीस वर्षों में एक कूट षडयंत्र के तहत सत्ता और शासन द्वारा प्रदेश में बांग्ला भाषा को हाशिए में डालने का कार्य किया जा रहा है,जिस पर अब विराम लगाने का समय आ गया है।पिछले विधान सभा चुनाव में आपके द्वारा घोषित सात गारंटी में से पहली गारंटी प्रदेश में जनजातीय और क्षेत्रीय भाषाओं के संरक्षण की गारंटी थी,जिसके तहत प्रदेश की मूल सम्पर्क भाषा बांग्ला भाषा को संरक्षित करने की आवश्यकता है।
इस परिप्रेक्ष्य में समिति आपसे
बगैर अब और कोई विलम्ब किए प्रदेश में बांग्ला भाषा में पठन पाठन प्रारम्भ करने का आदेश प्रदान करते हुए सभी विद्यालयों में समुचित मात्रा में बांग्ला भाषा में पाठ्य पुस्तकों की आपूर्ति एवं शिक्षकों के नियुक्ति सुनिश्चित करने का आग्रह करती है।
