ईडी अधिकारी गिरफ्तारी मामला, आमने-सामने प्रवर्तन निदेशालय और पुलिस, जांच दिल्ली शिफ्ट

नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी अंकित तिवारी द्वारा घूस लेने और उन्हें गिरफ्तार करने से शुरू हुआ विवाद अब और गहरा गया है। ईडी और तमिलनाडु पुलिस इस मामले में आमने-सामने आ गए हैं। ईडी ने जहां अपने अधिकारी (अंकित तिवारी) के खिलाफ अलग से जांच शुरू कर दी है, वहीं मदुरै स्थित ईडी ऑफिस में बिना सर्च वारंट के तमिलनाडु पुलिस की विजिलेंस शाखा के एंटी करप्शन डिपार्टमेंट (DVAC) के अधिकारियों के घुसने के मामले में भी केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। ईडी ने दोनों ही मामलों को नई दिल्ली स्थानांतरित कर दिया है।

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सूत्रों के मुताबिक ईडी ने ऐसा इसलिए किया है क्योंकि उसे आशंका है कि राज्य पुलिस के अधिकारी जांच में सहयोग नहीं कर सकते हैं। उधर, मदुरै पुलिस ने भी ईडी अफसरों के खिलाफ काम में बाधा डालने का आरोप लगाते हुए एक केस दर्ज किया है। इसमें कहा गया है कि ईडी के अधिकारियों ने DVAC के अधिकारियों को अंकित तिवारी के ठिकानों पर सर्च करने से रोक दिया।

बता दें कि तमिलनाडु पुलिस की विजिलेंस शाखा के एंटी करप्शन डिपार्टमेंट (DVAC) ने ईडी अफसर अंकित तिवारी को एक डॉक्टर से 20 लाख रुपये रिश्वत लेने के आरोप में मदुरै में गिरफ्तार किया था। इसके अगले ही दिन तमिलनाडु पुलिस की DVAC के अधिकारियों ने मदुरै स्थित ईडी दफ्तर में सर्च ऑपरेशन चलाया था लेकिन ईडी के अफसरों ने ऐसा करने से रोक दिया था। तब ईडी ने राज्य के डीजीपी को खत लिखकर DVAC के अफसरों के खिलाफ केस दर्ज करने की मांग की थी।

मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि ईडी ने अपनी चिट्ठी में आरोप लगाया था कि 1 दिसंबर को 35 लोग अवैध तरीके से मदुरै दफ्तर में घुस गए थे। उनके पास सर्च वारंट भी नहीं था। आरोप ये भी लगाए गए हैं कि DVAC के अधिकारी कई अहम फाइल लेकर चले गए हैं। तमिलनाडु में ईडी के कार्यालय की सुरक्षा तब से भारत-तिब्बत सीमा पुलिस ने अपने हाथ में ले ली है जो गृह मंत्रालय के अंतर्गत आती है। दिल्ली में सूत्र इस बात की पुष्टि नहीं कर सके कि ईडी द्वारा मांगी गई एफआईआर अभी तक दर्ज की गई है या नहीं।

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