कैलाश कुमार/बोकारो. बोकारो के पेटरवार प्रखंड स्थित प्राचीन खुटा बाबा मंदिर जिले के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है. जहां वर्षों से आदिवासी रीति-रिवाजों के साथ पूजा होती है. यहां साल भर झारखंड और बंगाल के दूर दराज इलाकों से श्रद्धालु पूजा अर्चना के लिए पहुंचते हैं. मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु यहां पूजा करने आते हैं उनकी मनोकामना खुटा बाबा पूर्ण करते हैं, लेकिन इस मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर रोक है.
खुटा बाबा मंदिर में आदिवासी पारंपरिक के रीति रिवाज के अनुसार ही पूजा की जाती है. जहां पाहन द्वारा खुटा बाबा देवता को अरवा चावल सिंदूर और धुना के साथ देशी महुआ दारू अर्पित किया जाता है और विधिवत संथाली धार्मिक अनुष्ठान के साथ पुजन किया जाता है. इसके अलावा मंदिर में सफेद बकरा और काले मुर्गी की बलि की भी प्रथा है
मंदिर की कमेटी की ओर से श्रद्धालुओं द्वारा बली प्रथा अर्पण करने पर मुर्गी पर 11 रुपए और बकरे पर ₹21 का शुल्क लिया जाता है, बाकी यहां पूजा मे किसी भी प्रकार का दान दक्षिणा नहीं ली जाती है. खुटा बाबा मंदिर की मान्यता के अनुसार, वर्षों से खुटा बाबा मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध है और यहां महिलाएं मंदिर के बाहर ही रुककर प्रणाम कर आशीर्वाद लेती हैं. इसके अलावा मंदिर में बाहर से लाई गई खाद पदार्थ अंदर ले जाने पर रोक है.
100 वर्षों से हो रही पूजा
मंदिर से जुड़ी मान्यताओं पर खुटा बाबा मंदिर के पहान ( पुजारी) सुनील ने लोकल 18 झारखंड को बताया कि इस मंदिर में बिते 100 वर्षों से भी अधिक आदिवासी समाज के पूर्वजों द्वारा पूजा अर्चना की जारी है और खुटा बाबा बीते कई वर्षो से भक्तों की मन्नतें और मनोकामनाएं पूरी कर रहे हैं. मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर पंडित सुनील ने बताया कि पौराणिक काल से खुटा बाबा धर्मस्थल पर महिलाओं के प्रवेश पर रोक है, इसलिए वह नियमों का अनुपालन कर रहे हैं. यहां प्रतिदिन सुबह 9:00 से लेकर दोपहर 2:00 बजे तक पूजा होती है.