स्लग :दो वर्षों से दलमा सेंचुरी से गजराज रहते हे नदारत ।

स्लग :दो वर्षों से दलमा सेंचुरी से गजराज रहते हे नदारत ।

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एंकर: झारखंड राज्य में एक दर्शक था नक्सली की आतंक से परेशान रहते थे जनजीवन, अबके बर्ष में राज्य में देखो गजराजों की आतंक दो वर्षो दलमा सेंचुरी से गजराजों की झुंड जंगल से रहने लगा नदारत पश्चिम बंगाल से गजराज की झुंड घाटशिला ओर चाकूलिया से गज का झुंड दलमा सेंचुरी प्रवेश नही करता साथ ही उड़ीसा राज्य से गजराजों की झुंड सरायकेला खरसावां जिला के कंद्रा जंगल से वापस चले जाते हे। पुरूलिया जिला अयोध्या पहाड़ से झारखंड राज्य में प्रवेश कर जाते हे परंतु दलमा सेंचुरी में एंट्री नही करते कारण किया है। जिसे जंगल गजो का झुंड दलमा से सटे छोटे छोटे जंगल में डेरा डाला हुए हे।

चांडिल अनुमंडल क्षेत्र के दलमा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी से भटकते हुए गजराज का झुंड लेटेम्दा रेलवे स्टेशन पहुंचे ।विशाल गजराज को देखने पहुंचे सैकडो ग्रामीण ,आज दोपहर के आसपास यह गजराज की झुंड धान की खेत और जंगल होते चलते रहे ग्रामीण क्षेत्र में विशाल ट्रास्कर गजराज कुकड़ु प्रखण्ड क्षेत्र के विभिन्न गांव में दलमा सेंचुरी के गजराज की झुंड से बिछड़कर एकला भ्रमण करते देखा गया ।

चांडिल वन क्षेत्र के अधीन कुकडु प्रखण्ड के लेटेमदा साथ दर्जनों गांव में यह गजराज मस्त होकर विचरण करते रहते हे । जिसे देखने सैकडो की संख्या में ग्रामीण लेटेमदा पहुंचे ।यह गजराज एक गांव होकर दूसरे गांव धान की खेती में घुसकर अपना निवाला बनाकर चलते रहते । ओर पैर तले कुछ्ल कर धान की पक्के फसल को नष्ट कर देते हे।

ग्रामीणों का कहना चांडिल बन क्षेत्र पदाधिकारी ईचागढ़ विधान सभा क्षेत्र के ग्रामीणों को गजराज की झुंड द्वारा जान से मारने की कार्य किया , बारों महीना जंगली हाथियों की झुंड इस क्षेत्र में विचरण करते रहते हे । साथ ही गरीब किसान की उगाई गए फसल को खाते और नष्ट कर देते हे। झुंड में गजराज रहने से ग्रामीणों एक जानकारी मिल जाता हे,परंतु झुंड से बिछड़े गजराज एकेले विचरण करने के दौरान ग्रामीणों को गजराज आने की आभास तक नहीं होता है।जिसे एकाएक गजराज हामला कर देने से जान माल की सुरक्षा ग्रामीण खुदको उठाने पड़ता है , जंगल झाड़ से गजराज अचानक निकलने से सामना करना मुस्कील में पड़ जाता हे। कभी कभी जान भी चले जाते हे। कोई बार लोगो भागने के दौरान जख्मी हो जाते हे।

चांडिल वन विभाग की ओर से गजराज की झुंड गांव ओर पंचायत में प्रवेस कर जाने की सूचना लोगो को नही दिए जाने के कारण ग्रामीणों को गजराज की सामना करना पड़ता जिसे जान भी चले जाते ।जंगल और जंगली जीवजंतु की सुरक्षा के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा वन एवं पर्यावरण विभाग को प्रति बर्ष करोड़ों रुपया मुहैया करते हे।ओर ग्रामीणों को आपने और अपनी परिवार की सुरक्षा खुद उठाना पड़ता है।यह कैसा कानून है।आज जंगल की कटाई और अवेध पेड़ काटकर दूसरे राज्यों में तस्करी की कारण आज वन जीवजंतु भोजन की तलास में जंगल से भटकर गांव में पहुंच जाते ओर धान ,सब्जी ,आदि फसलों को अपना निवाला बनाते हे।

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