ऑल सोल डे पर पूर्वजों को किया याद, कब्र पर कैंडल जलाकर की प्रार्थना
रोमन कैथोलिक ईसाई समाज के लोगों ने गुरुवार को ऑल सोल डे पर कब्रिस्तान जाकर पूर्वजों को याद किया. अपने पूर्वजों की क्रब पर कैंडल जलाकर उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की. इसे लेकर बेल्डीह कब्रिस्तान में खासी चहल-पहल रही. सुबह से ही बेल्डीह के अलावा भुइयांडीह स्थित बाबूडीह व करनडीह स्थित जसकनडीह कब्रिस्तान में समुदाय के लोगों ने अपने पूर्वजों की कब्र पर फूल चढ़ाए, मोमबत्ती जलाई और वहां बैठकर उन्हें याद किया. मृतात्मा की शांति के लिए प्रार्थना की गई.कैथोलिक में मान्यता है कि मरने के बाद व्यक्ति संत हो जाता है. उनके अच्छे जीवन और शांति के लिए हर साल 2 नवंबर को यह पर्व मनाया जाता है. पर्व के लिए पहले से ही कब्रिस्तानों की साफ-सफाई कर ली गई थी और पूरे कब्रिस्तान परिसर को सजाया गया था. इस बारे में चर्च के फादर ने बताया कि यह पर्व अपने मृत पूर्वजों, मित्रों, रिश्तेदारों की आत्मा की शांति के लिए मनाया जाता है. इस दिन कब्र में फूल चढ़ाकर, अगरबत्ती जलाकर पूजा की जाती है और अपने पूर्वजों के प्रति आदर व्यक्त करते हुए ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें.धर्म के जानकार लोग कहते है इस दिन स्वर्ग में बैठे उनके अपने लोगों की आत्माएं उनके लिए दुआ करती हैं. वो इस बात का एहसास दिलाती है कि वो वहां बेहद खुश है. दरअसल ‘ऑल सोल्स डे’ फ्रांस की देन है जिसे 998 एडी में पहली बार मनाया गया था. छोटे स्तर पर लोगों ने मरे लोगों की आत्माओं के सम्मान में इस दिन को ‘ऑल सोल्स डे’ के रूप में मनाया था. माना जाता है इसकी शुरुआत पहले बेहद छोटे स्तर पर हुई थी, लेकिन एक दशक के अंदर ये दिन विश्व भर में मनाया जाने लगा.।