रांचीः झारखंड (Jharkhand) की सरकार राज्य में काम करने वाले आईएएस-आईपीएस (IAS-IPS) और राज्य सेवा के अफसरों (State Service Officers) को 6 जनजातीय भाषाएं (Languages) सिखाने के लिए ऑनलाइन पाठशाला चलाएगी। फील्ड में काम करने वाले हर अफसर के लिए यह अनिवार्य किया जाएगा कि वे राज्य में बोली जाने वाली जनजातीय भाषाएं सीखें। झारखंड सरकार का ट्राइबल रिसर्च इंस्टीटय़ूट इसके लिए कोर्स मॉडय़ूल तैयार कर रहा है। 15 नवंबर को झारखंड स्थापना दिवस के मौके पर कोर्स मॉडय़ूल लॉन्च कर दिया जाएगा। सीएम हेमंत सोरेन के निर्देश पर राज्य सरकार के कल्याण विभाग ने इसकी पूरी योजना तैयार की है।
तय किया गया है कि छह जनजातीय भाषाओं संथाल, हो, खड़िया, कुड़ुख, मुंडारी और भूमिज के तीन-तीन महीने के ऑनलाइन कोर्स चलाए जाएंगे। कोर्स पूरा करने के बाद परीक्षाएं भी ली जाएंगी और उत्तीर्ण अफसरों को सर्टफिकेट दिए जाएंगे। अगर कोई अफसर परीक्षा में पास नहीं होता है तो उसे फिर से मौका दिया जाएगा।
उद्देश्य यह है कि अफसर झारखंड (Jharkhand) की वृहत जनजातीय आबादी से उसकी भाषा में संवाद कर सकें। अफसरों को जनजातीय इतिहास और संस्कृति की भी जानकारी दी जाएगी। ऑनलाइन क्लास के सफल संचालन के लिए जनजातीय भाषा (Tribal Languages) के व्याख्याताओं, शिक्षकों और जानकारों की सेवाएं ली जाएंगी। झारखंड में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली जनजातीय भाषा संथाली है। करीब 20 लाख लोग इस भाषा का इस्तेमाल करते हैं। यह संविधान की आठवीं अनुसूची में भी शामिल है।
इसी तरह लगभग 15 लाख लोग मुंडारी, दस लाख से ज्यादा लोग कुड़ुख और आठ लाख से ज्यादा लोग ‘‘हो’’ भाषा का उपयोग करते हैं। भूमिज भाषा बोलने वालों की संख्या भी पांच लाख से ज्यादा है। जनजातीय बहुल इलाकों में रहने वाले गैर जनजातीय लोग भी इन भाषाओं का इस्तेमाल करते हैं।
बता दें कि सीएम हेमंत सोरेन (Hemant Soren) बीते 21 अप्रैल को सिविल सर्वसि डे पर रांची में आयोजित कार्यक्रम के दौरान उपस्थित आईएएस-आईपीएस (IAS-IPS) अफसरों से पूछा था कि आपमें से कितने लोग झारखंड की जनजातीय भाषाएं जानते हैं? किसी भी अफसर ने इस पर जवाब नहीं दिया था। तब, सीएम ने कहा था कि आप झारखंड के लोगों को एक ईमानदार और कुशल प्रशासन देना चाहते हैं तो उनकी भाषा को समझना और उसमें संवाद करना आवश्यक है। सीएम ने इसके बाद कल्याण विभाग को निर्देश दिया था कि अफसरों के लिए छह प्रमुख जनजातीय भाषाओं के पाठय़क्रम की संरचना तैयार की जाए।