दुर्गा पूजा और दिवाली से पहले आम लोगों के लिए महंगाई के मोर्चे पर राहत भरी खबर है. दालों की कीमतों में 4 फीसदी की गिरावट आई है. इसका असर थोक बाजार में अरहर और मसूर दाल की कीमतों पर पड़ा है. बताया जा रहा है कि अरहर और मसूर के आयात में बढ़ोतरी और जमाखोरी पर सरकार की सख्त कार्रवाई के कारण दालों की कीमतों में गिरावट आई है. ऐसे में आम जनता को उम्मीद है कि दिवाली आते-आते दालें सस्ती हो सकती हैं.
जानकारी के मुताबिक अरहर दाल की कीमत में 4 फीसदी की गिरावट आई है. इसके बावजूद चना दाल अभी भी बाजार में सबसे सस्ती दाल है। इसकी कीमत में भी 4% की गिरावट आई है। वहीं बढ़ते आयात और कम मांग के कारण दाल की कीमत में 2 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है. आईपीजीए के अनुसार, सुस्त मांग और अफ्रीका से आपूर्ति में अपेक्षित वृद्धि के कारण इस सप्ताह अरहर की कीमतों पर दबाव रहने की उम्मीद है।
हालांकि, चना दाल की कीमतों में और गिरावट आ सकती है। क्योंकि सरकारी एजेंसी नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन (NAFED) इसे कम दाम पर बेच रही है. हालांकि, उद्योग के अधिकारियों का मानना है कि त्योहारी सीजन के दौरान मांग बढ़ने से दालों की कीमतों में कुछ बढ़ोतरी हो सकती है।रेट 170 रुपये प्रति किलो के पार पहुंच गया
दरअसल, पिछले कई महीनों से दालों की कीमतों में आग लगी हुई है. खासकर अरहर दाल सस्ती होने की बजाय और महंगी होती जा रही है. ऐसे में दालों की कालाबाजारी रोकने के लिए केंद्र सरकार को अरहर समेत कई तरह की दालों के लिए स्टॉक सीमा तय करनी पड़ी. महंगाई का आलम ये है कि दिल्ली में अरहर दाल का रेट 170 रुपये प्रति किलो के पार पहुंच गया है. ऐसे में सरकार पर कीमतों को नियंत्रित करने का दबाव बढ़ रहा था. यही वजह है कि सरकार ने स्टॉक बढ़ाने के लिए दालों का निर्यात तेज कर दिया है.
7.6 लाख टन अरहर दाल का आयात किया गया
आपको बता दें कि देश में अरहर दाल का उत्पादन मांग के मुकाबले काफी कम है. ऐसे में मांग को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार विदेशों से दालों का आयात करती है. वर्ष 2021-22 के दौरान देश में 42.20 लाख टन अरहर दाल का उत्पादन हुआ. वहीं, फसल सीजन 2022-23 में यह आंकड़ा गिरकर 34.30 लाख टन रह गया. हालांकि, देश में हर साल 45 लाख टन अरहर दाल की खपत होती है. ऐसे में सरकार अफ़्रीकी देशों से अरहर दाल का आयात करती है. वर्ष 2021-22 में 7.6 लाख टन अरहर दाल का आयात किया गया.