हैंडओवर से पहले सदर के डॉक्टर हॉस्टल में पड़ीं दरारें, पिलर अलग

झारखण्ड | रांची सदर अस्पताल भवन के अलावा यहां के डॉक्टरों के लिए सात मंजिला डॉक्टर्स हॉस्टल भी बनाया गया है. अस्पताल भवन बनकर छह माह पहले हैंडओवर भी हो गया. वहीं उस भवन से पहले डॉक्टर्स हॉस्टल भवन बनकर तैयार हो गया था, पर फिनिशिंग नहीं हो सकी. अब भवन का हाल बिना हैंडओवर हुए ही जर्जर हो गया है. इस भवन को अभी तक बिल्डिंग कॉर्पोरेशन को भी हैंडओवर नहीं किया गया है. भवन सात तल्ले का है, जिसमें डॉक्टरों और स्टाफ के लिए हॉस्टल बनाए गए है. करोड़ों की लागत से बने इस भवन का जरा भी उपयोग नहीं हो सका है और भवन का अधिकतर हिस्सा जर्जर हो गया है. अधिकतर फ्लैटों की बालकनी के पिलर्स छत से अलग हो गए हैं. भवन में कई जगहों पर दरारें स्पष्ट दिखाई दे रही हैं. दीवारों में सिपेज भी कई जगह देखा जा सकता है. इस भवन के निचले हिस्से में गंदगी का अंबार है. वहीं जिनके लिए इस हॉस्टल का निर्माण कराया गया है, वो चिकित्सक दूसरे स्थानों में किराए में रहने को मजबूर हैं. बता दें कि 354 करोड़ की लागत के प्रोजेक्ट का ही यह हॉस्टल भी हिस्सा है.

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मजदूर और सदर के नर्सिंग स्टाफ रह रहे सात मंजिला इस भवन में अस्पताल परिसर में काम करने वाले मजदूर और नर्सिंग स्टाफ अनधिकृत तरीके से रहते हैं. सात से आठ फ्लैटों में ऐसी स्थिति है. लोग खुद के स्तर पर बिजली की सुविधा बहाल कर वहां रहते हैं. पानी के लिए ऊपर टंकी लगी हुई है. ओवर फ्लो होने पर सारा पानी यहीं आकर जमा हो जाता है. पानी की निकासी की जगह नहीं है. कमरे में पहुंचने के लिए लकड़ी का पटरा रख कर लोग आना-जाना करते हैं.

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