भारत के लिए रचा इतिहास, लेकिन रजत जीतकर भी संतुष्ट नहीं रोशिबिना देवी

हांगझोऊ: रोशिबिना देवी ने वुशू में पदक जीतकर भारत के लिए इतिहास रच दिया, लेकिन पदक का रंग वह नहीं था जो वह चाहती थीं। इसलिए, वो इस जीत के बाद भी निराश हैं। रोशिबिना देवी ने 60 किलोग्राम वीमेंस कैटेगरी में रजत पदक जीता। हालांकि, उनके पास गोल्ड मेडल जीतने का मौका था, लेकिन वह फाइनल मुकाबले में चाईनीज खिलाड़ी से हार गईं। रोशिबिना ने 2018 एशियाई खेलों में इसी कैटेगरी में कांस्य पदक जीता था। बुधवार को रोशिबिना देवी ने वियतनाम की थी थू थूय गुयेन को हराकर फाइनल में जगह बनाई थी। उन्होंने शुरुआत में अच्छी लड़ाई लड़ी लेकिन अंत में उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

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रोशिबिना देवी ने कहा, “मैंने कुछ गलतियां की जो मुझे नहीं करनी चाहिए थी, मैं आगे सुधार करने की कोशिश करूंगी। मैंने इसके लिए कड़ी मेहनत की है और बहुत उम्मीद के साथ यहां आई हूं। मैं अपने देश के लिए स्वर्ण पदक जीतना चाहती थी लेकिन ऐसा हुआ नहीं। मैं और सुधार करूंगी और अगली बार स्वर्ण जीतूंगी।” रोशिबिना देवी को फाइनल में की गई गलतियों के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता है, क्योंकि वह अपने गृह राज्य मणिपुर में हो रही चीजों से काफी परेशान हैं। मणिपुर में कुकी और मैतेई समाज के बीच हुई हिंसा में अब तक सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है। रोशिबिना देवी के माता-पिता अभी भी मणिपुर में हैं और वह उनकी सुरक्षा को लेकर हर दिन डर में रहती हैं। उन्होंने मीडिया से कहा, ‘मुझे उनकी सुरक्षा को लेकर हमेशा चिंता रहती है।’

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