यूं तो इंफोसिस और टीसीएस दोनों आज के समय में विप्रो से बड़ी आईटी कंपनियां हैं, मगर दुनिया के सामने भारत के आईटी सेक्टर का लोहा मनवाने का क्रेडिट विप्रो को ही जाता है। विप्रो की इस कामयाबी के पीछे अजीम प्रेमजी (Azim Premji) का हाथ है। विप्रो की शुरुआत 29 दिसंबर 1945 को मोहम्मद प्रेमजी ने की थी। 1966 में मोहम्मद प्रेमजी की मृत्यु के बाद, उनके बेटे अजीम प्रेमजी ने 21 साल की उम्र में विप्रो को संभाला।
अजीम प्रेमजी शिया मुस्लिम खोजा परिवार में 24जुलाई 1945 मुंबई में जन्म हुआ. उनके पिता के द्वारा संचालित वेस्टर्न इंडियन वेजिटेबल प्रोडक्ट जो महाराष्ट्र में पहली यूनिट 1966 में हाथ बताने के लिए सैंडफोर्ड यूनिवर्सिटी से अजीम प्रेमजी अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई के साथ विप्रो का चार्ज लिया था. जब 21 वर्ष के प्रेम जी थे तब उनके पिता की मृत्यु के उपरांत अजीम भाई प्रेम जी ने लगन से अपने पिता की बनाई हुई मेहनत को आगे बढ़ाते हुए 1980 में अलग-अलग व्यापार और धंधों में हाथ फैलाना शुरू किया. देखते ही देखते अजीम भाई प्रेमजी ने आईटी क्षेत्र में भी अपनी पेंट बनाना शुरू कर दिया था. अपने विप्रो को आईटी क्षेत्र की ओर बढ़ाते गए. आज भारत को ऐसे उद्योगपति पर गर्व महसूस होता है. लगातार कई आवाजों से नवाजे जा चुके अजीम भाई प्रेमजी दुनिया के नंबर एक दानदाताओं में से गिने जाते हैं. अपनी तनखा का 90 परसेंट हिस्सा गरीबों के लिए दान में बनाई गई संस्थाओं को नियमित रूप से दान करते रहे. 2005 में भारत सरकार ने पद्मा भूषण अवॉर्ड से नवाजा था. विदेश में वहां की सरकारों ने भी ढेर सारे पुरस्कार से अजीम भाई प्रेम जी को नवाजा है.
24 जुलाई 1945 को जन्मे अजीम प्रेमजी का 78वां जन्मदिन है। उन्होंने ही विप्रो को आईटी सेक्टर की तरफ शिफ्ट किया। विप्रो को उन्होंने आईटी सेक्टर में इस मुकाम तक पहुंचाया कि उन्हें भारतीय आईटी इंडस्ट्री का सम्राट कहा जाने लगा। आईटी सेक्टर में नाम कमाने के साथ-साथ अजीम प्रेमजी ने पैसा भी खूब कमाया। एक समय था कि वे दौलत के मामले में दिवंगत धीरूभाई अंबानी (Dhirubhai Ambani) से भी आगे थे। फोर्ब्स की दुनिया के सबसे अमीरों की 2001 की लिस्ट के अनुसार उस साल अजीम प्रेमजी एंड फैमिली की दौलत 6.9 अरब डॉलर या आज के हिसाब से 56573 करोड़ रु थी। अजीम प्रेमजी एंड फैमिली को दुनिया के सबसे अमीरों की लिस्ट में उस साल 42वां नंबर मिला था। इसके बावजूद पूरी दुनिया के सबसे बड़े उद्योगपति दानदाताओ में से एक है.
वहीं धीरूभाई अंबानी एंड फैमिली की दौलत उस साल 3.4 अरब डॉलर या आज के हिसाब से 27876 करोड़ रु थी और वे 124वें नंबर पर थे। 1970 के दशक के दौरान कंपनी ने आईटी और कंप्यूटिंग इंडस्ट्री पर अपना अपना फोकस बढ़ाया, जो उस समय भारत में शुरुआती फेज में था। 7 जून 1977 को कंपनी का नाम वेस्टर्न इंडिया वेजिटेबल प्रोडक्ट्स लिमिटेड से बदलकर विप्रो प्रोडक्ट्स लिमिटेड कर दिया गया। 1982 में, फिर से विप्रो प्रोडक्ट्स लिमिटेड से नाम बदलकर विप्रो लिमिटेड कर दिया गया। 1999 में, विप्रो को न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट किया गया। 2004 में विप्रो सालाना रेवेन्यू में 1 अरब डॉलर कमाने वाली दूसरी भारतीय आईटी कंपनी बन गई थी। मार्च 2023 में, विप्रो ने ईस्ट ब्रंसविक, मिडलसेक्स काउंटी, न्यू जर्सी में टावर सेंटर में अपना अमेरिकी इंटरनेशनल हेडक्वार्टर खोला।