मंत्री पद से बर्खास्त राजेंद्र सिंह गुढ़ा अब खोलेंगे ‘लाल डायरी’ के राज

जयपुर: राजस्थान के पूर्व मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने घोषणा की है कि वह सोमवार को राज्य विधानसभा में ‘लाल डायरी’ का रहस्य उजागर करेंगे। मंत्री पद से बर्खास्तगी के बाद गुढ़ा रविवार से ही इस डायरी को लेकर चर्चा में हैं।
गुढ़ा ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर निशाना साधते हुए कहा, ”अगर मैं उस दिन वहां नहीं होता, तो आप मुख्यमंत्री पद पर नहीं, बल्कि जेल में होते।” गुढ़ा ने मुख्यमंत्री को याद दिलाया कि उन्होंने खुद भी अपने बेटे के जन्मदिन पर कहा था कि ‘अगर राजेंद्र गुढ़ा नहीं होते, तो मैं मुख्यमंत्री नहीं होता।’
रविवार को झुंझुनूं जिले के उदयपुरवाटी के गांव बामलास में शिलान्यास समारोह में गुढ़ा ने कहा, “अरे मुख्यमंत्री जी, उस दिन आपने कहा था कि सब कुछ मेरे हाथ में है। अगर उस दिन राजेंद्र गुढ़ा नौवीं मंजिल पर जाकर 150 सीआरपीएफ जवानों के बीच गेट तोड़कर लाल डायरी नहीं निकालते, तो आज आप जेल में होते।”
अपनी निराशा व्यक्त करते हुए गुढ़ा ने मुख्यमंत्री से पूछा, “मैंने क्या कहा, मैंने सिर्फ इतना कहा कि राजस्थान में महिलाओं के साथ बलात्कार हो रहा है। आपने मुझे विधानसभा में भेजा, ताकि मैं सच बोल सकूं।”
गुढ़ा ने कहा, “हमारी बहनों-बेटियों ने मुझे वोट देकर विधानसभा में भेजा है। उन्होंने महिलाओं की ओर इशारा करते हुए कहा, मैं आपके वोट से विधानसभा पहुंचा हूं। मैं इस उदयपुरवाटी की जनता का प्रतिनिधि हूं। मैं मरते दम तक पूरी ताकत से जनता के लिए लड़ता रहूंगा।”
पूर्व मंत्री ने कहा, “हमने वर्ष 2008 और 2018 में रेगिस्तानी राज्य में कांग्रेस सरकार बनाने में मदद की। कांग्रेस के पास बहुमत नहीं था। हमने दूसरी पार्टी के विधायकों को कांग्रेस में लाकर उन्हें सत्ता में आने में मदद की।”
बसपा के पूर्व विधायक गुढ़ा 2008 में छह बसपा विधायकों के साथ कांग्रेस में शामिल हो गए थे और राजस्थान में सरकार बनाने में मदद की थी। 2013 में उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और हार का सामना करना पड़ा, इसके बाद वह वापस बसपा में चले गए। गुढ़ा ने बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। हालांकि, इस बार भी उन्होंने पार्टी छोड़ दी और पांच विधायकों के साथ कांग्रेस में शामिल हो गए।
गुढ़ा ने कहा, “आरपीसीसी अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा कहते हैं कि राजेंद्र गुढ़ा बीजेपी से जुड़े हुए हैं। मैं कहता हूं कि अगर वसुंधरा जी (बीजेपी नेता) और गहलोत जी मिलते हैं, तो कोई समस्या नहीं है, लेकिन जब बीजेपी सांसद नरेंद्र खीचड़ और मैं यहां बैठते हैं, तो समस्या होती है।”

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