आर्मी का फर्जी चीफ इंजीनियर बन बेचता था नौकरी, मास्टरमाइंड सहित चार अरेस्ट

आर्मी का फर्जी चीफ इंजीनियर बन बेचता था नौकरी, मास्टरमाइंड सहित चार अरेस्ट

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जमशेदपुर : खुद को इंडियन आर्मी का चीफ इंजीनियर बता लोगों को फर्जी नौकरी बांटने वाला शातिर मनीष कुमार उर्फ अभय कुमार अब पुलिस के हत्थे चढ़ चुका है। इस कांड में उसका साथ देने के इल्जाम में उसके गिरोह के तीन और संदेही गुनहगारों को गिरफ्तार किया है।

धराये लोगों के नाम दीपराज कुमार भट्टाचार्य उर्फ सोनू, दिनेश कुमार और मंतोष कुमार बताये गये। मास्टरमाइंड मनीष और दीपराज बोकारो के आदर्श नगर के रहने वाले हैं। वहीं, दिनेश और मंतोष का घर आसनसोल में है। इनके पास से इंडियन आर्मी के दो फर्जी ID कार्ड, आर्मी का स्टांप, टॉय गन, आर्मी के फर्जी जॉइनिंग लेटर और बिना नंबर की एक कार जब्त की गयी है। देश भर में फर्जी नौकरी बांटकर इस गिरोह ने अबतक दो करोड़ रुपये बटोर लिये हैं। इस बात का खुलासा आज जमशेदपुर के पुलिस कप्तान किशोर कौशल ने किया।

SSP किशोर कौशल ने मीडिया को बताया कि रेलवे में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी का एक मामला बिष्टुपुर थाना में दर्ज हुआ था। इस मामले की तफ्तीश के दरम्यान पुलिस को संदिग्ध फोन नंबर मिले। इन नंबरों को खंगाला गया तो मास्टरमाइंड मनीष कुमार उर्फ अभय कुमार पुलिस की गिरफ्त में आ गया। धराये मनीष से जब पुलिस ने अपने तरीके से पूछताछ की तो वह टूट गया और अपना गुनाह कबूल कर लिया। साथ ही अपने गिरोह के सदस्यों के बारे में पुलिस को सबकुछ बता दिया। उसकी निशानदेही पर तीन लोगों दीपराज, दिनेश और मंतोष को धरा गया। इन चारों संदेही में से दो लोगों को बोकारो से अरेस्ट किया गया। वहीं, एक को ऐसनसोल और एक को रांची से दबोचा गया।

SSP ने बताया कि भोले-भाले नौकरी पाने की चाह रखने वाले लोगों को अपने झांसे में लेता। चार से पांच लाख रुपये के बीच नौकरी का सौदा तय होता। कैंडिडेट्स से तय रकम का 10% रमक पहले ले लिया जाता। ये पैसे ऑनलाइन लिये जाते थे, ताकि कैंडिडेट्स को यकीन हो जाये कि पैसे लेने वाला शख्स फर्जी नहीं है। कुछ रोज बाद कैंडिडेट्स को फर्जी ज्वाइनिंग लेटर थमा दिया जाता और बाकी की रमक भी ऐंठ ली जाती। उम्मीदवारों को किसी तरह का कोई शक न हो इसके वास्ते आसनसोल के रेलवे अस्पताल में फर्जी मेडिकल तक करा डालते थे। ज्वाइनिंग के दिन वे खुद भी उस दफ्तर में मौजूद रहते थे, जहां कैंडिडेट्स की फर्जी तैनाती की जाती थी। इस दौरान उनसे छोटे-मोटे काम भी कराये जाते थे, ताकि उन्हें भरोसा हो जाए कि नौकरी असली है। साल 2022 से अबतक इन लोगों के खाते से 2 करोड़ रुपये का ट्रांजैक्शन हुआ है।

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