यात्रियों के लिए जी का जंजाल बनी महानगरीय मिनी बस सेवा

रायसेन। रायसेन भोपाल के बीच चलने वाली महानगरीय बस सेवा यात्रियों के लिए जी का जंजाल बनी हुई है। ठेके प्रथा पर इस सड़क पर सरपट दौड़ रही करीब 25से 30 मिनीबसें हकीकत में यात्रियों के लिए जी का जंजाल बनी हुई है ।कमाई के लालच में यह मिनी बसों और उनके संचालक यात्रियों को भेड़ बकरियों की तरह ठूंस ठूंस कर भरते हैं ।इन मिनी बसों में सुरक्षित यात्रा की गारंटी देने वाला कोई नहीं होता। यह मिनी वैसे भी पहले सैकड़ो बार सड़क हादसे का शिकार हो चुकी है ।जिसमें यात्रियों की जान गई और कई यात्रियों को जिंदगी भर का दर्द झेलना पड़ रहा है ।ठेकेदारी प्रथा पर चलने वाली यह मिनी बसें यात्रियों का काल साबित हो रही है ।इनकी लापरवाही का आलम यह है कि जिम्मेदार अधिकारी भी इन पर कोई शिकंजा नहीं कर पा रहे हैं ।जिससे ट्रैफिक नियमों को ताक पर रखकर मिनी बसों के संचालक कमाई की लालच में क्षमता से ज्यादा यात्रियों को भर लेते हैं ।इतना ही नहीं रास्ते में जो भी माल लेकर खड़े होने वाले यात्रियों को भी जबरन मिनी बसों में बिठा लेते हैं।जिससे आएदिन विवाद की स्थिति खड़ी होती है।इन मिनी बसों रोजाना

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आलम यह है की इनमें क्षमता 30 यात्रियों की है उनमें दोगुनी से भी ज्यादा यात्रियों को बिठाते हैं ।इतना ही नहीं तीन-तीन लाइन लगाकर यात्रियों को भर लेते हैं ।यदि कोई कम किराए में कंडक्टरों से आनाकानी करते हैं तो उन्हें बीच रास्ते में उतार के चले जाते हैं। इन पर कड़ा प्रतिबंध लगाने वाला कोई जिम्मेदार ध्यान नहीं देते ।मजबूरी में यात्री परिवार सहित इन मिनी बसों में सफर करने के लिए विवश हैं। इन मिनी बसों का संचालन 1992 में तत्कालीन मुख्यमंत्री स्वर्गीय सुंदरलाल पटवा सरकार में शुरू हुई थी। तब से लेकर आज तक यह महा नगरीय मिनी बस सेवा विवादों में उलझी हुई है ।खटारा मिनी बसों बगैर फिटनेस बीमा के रायसेन भोपाल के बीच बेरोकटोक तरीके से दौड़ रही हैं।वह ट्रैफिक नियमों को ताक पर रखकर सड़कों पर सरपट दौड़ हैं। इतना ही नहीं इनमें छोटी दूरी का सफर तय करने वाली महिलाओं के साथ मिनी बसों का स्टाफ छेड़छाड़ जैसी सी घटनाओं को अंजाम देते हैं। इसके बाद भी इन पर कोई अधिकारी द्वारा उनके खिलाफ कार्रवाई न होना चिंता का विषय बना हुआ है ।नौसीखिए ड्राइवर इन मिनी बसों का संचालन करते हैं ।पुरानी कंडम मिनी बसों को खरीद कर ठेके प्रथा पर यह सवारी गाड़ियों के रूप में चला रहे हैं ।इन पर किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।जिला वपरिवहन विभाग के अधिकारी भी इनकी बीमा फिटनेस पर ध्यान नहीं देते। जिससे उनके हौसले बुलंद है ।सवारी के बजाय मिनी बसों के अंदर पत्ती घास के पोटली भी रख दिए जाते हैं। इतना ही नहीं बकरा बकरियों को भी इनमें में भर दिया जाता है ।जिससे उठने वाली दुर्गंध से यात्री नाक पर रूमाल रखकर सफर तय करते हैं ।यह सफर तय करना इन की मजबूरी बन गई है।इन सब परेशानियों को यात्रीगण रायसेन से भोपाल का सफर तय कर पाते हैं।

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