विगत 17 दिनों से पूरे झारखण्ड के सैनिकों का लिकर कैंटीन बन्द, पूर्व सैनिकों में असंतोष
भारतीय सेना की कैंटीन सुविधा में ग्रोसरी एवं लिकर सैनिकों एवं पूर्व सैनिकों को सस्ते दर पर उपलब्ध कराया जाता है। लिकर कैंटीन का हर राज्य में वित्तीय वार्षिक रिन्यूवल होता है। इस वर्ष भी झारखंड में स्थित सेना की यूनिटों की तरफ से लाइसेंस एवं वेट में छूट का पत्र एक्साइज डिपार्टमेंट को 31 मार्च के पहले ही भेजा गया था। जिसमें लाइसेंस रिन्यूअल का काम तो पूरा हो चुका मगर वैट में छूट का पत्र अभी तक साइन नहीं होने की वजह से पूरे झारखंड राज्य में सैनिकों के कैंटिनो में लिकर का बिक्री बंद है। जिसकी वजह से झारखंड में रह रहे सैनिक एवं पूर्व सैनिक लिकर की सुविधा से वंचित है।
आज पूर्व सैनिक सेवा परिषद पूर्वी सिंहभूम की एक आकस्मिक बैठक मानगो गांधीघाट स्थित पार्क में हुई। जिसमें उपस्थित सैनिकों ने एक्साइज डिपार्टमेंट के संबंधित अधिकारियों तक अपनी बात पहुंचाने के लिए यह मीटिंग बुलाई एवं सबका कहना था कि जो काम वर्षों से होता चला रहा है और पूरे देश में हो रहा है। इसमें कोई नई परंपरा की शुरुआत नहीं है। फिर उस पत्र पर समय रहते सिग्नेचर क्यों नहीं होता..?? सिग्नेचर नही होने के कारण कई बार सैनिकों एवं पूर्व सैनिकों को महीनों लिकर से वंचित रह जाना पड़ता है। आज के मीटिंग में उपस्थित सभी पूर्व सैनिकों का संबंधित विभाग के सीनियर अधिकारियों से आग्रह है कि सेना की कैंटीन में बिकने वाला लिकर पर लगने वाले वैट में छूट वाले पत्र पर यथाशीघ्र अपना हस्ताक्षर कर, पूरे राज्य में सैनिकों के कैंटीन को खुलवाने में अपना यशस्वी सहयोग प्रदान करने की कृपा करें। जिससे झारखंड में निवास करने वाले सैनिक एवं पूर्व सैनिकों का हौसला बना रहे।
आज के मीटिंग में मुख्य रूप से पूर्व सैनिक सुशील कुमार सिंह दिनेश सिंह अभय सिंह राजीव रंजन सतनाम सिंह अशोक श्रीवास्तव हरेंदु शर्मा उपेंद्र प्रसाद सिंह बृज किशोर सिंह अनिल झा नरेंद्र कुमार राजेश कुमार विजय त्रिपाठी देवेंद्र कुमार आदि सैनिक शामिल थे।