राजस्थान। जाड़े का मौसम चल रहा है और आने वाले समय में ठंड का प्रकोप और बढ़ने वाला है. ऐसे में ठंड का असर इंसानों, जानवरों के साथ ही फसलों पर भी पड़ता है. अधिक सर्दी से फसलों की उत्पादकता पर विपरीत असर पड़ता है और परिणामस्वरूप कम उत्पादन प्राप्त होता है. इसलिए सर्दी के मौसम में फसलों को विशेष देखभाल की ज़रूरत होती है.पश्चिम राजस्थान सहित प्रदेशभर में सर्दी अपना सितम ढहा रही है.
सर्दी के कारण फसलों पर पाला पड़ने की आंशका बढ़ जाती है, जिससे रबी की फसलों को काफी नुकसान पहुंचता है. किसान चाहते हैं कि वे पाले से किसी भी तरह अपनी आलू, अरहर, चना, सरसों, तोरिया, जीरा, गेहूं, जौ आदि को बचाए. ऐसे में पाला पड़ने से अपनी फ़सलों को बचाने के लिए कृषि अधिकारी ड़ॉ बाबूराम राणावत की इन बातों का ध्यान रखना चाहिए.
पाले की वजह से अधिकतर पौधों के फूलों के गिरने से पैदावार में कमी आती है. पत्ते, टहनियाँ और तने के नष्ट होने से पौधों को अधिक बीमारियां लगने का खतरा रहता है. सब्जियों, पपीता, आम, अमरूद पर पाले का प्रभाव अधिक रहता है. टमाटर, मिर्च, बैंगन, पपीता, मटर, चना, अलसी, सरसों, जीरा, धनिया, सौंफ आदि फसलों पर पाला पड़ने के दिन में ज्यादा नुकसान की आशंका रहती है, जबकि अरहर, गन्ना, गेहूं व जौ पर पाले का असर कम असर रहता है.