झारखण्ड :गम और गुस्से के बीच एक साथ उठीं चार मजदूरों की अर्थियां

मधुबनी: भोजपुर के चरपोखरी थाना क्षेत्र के कोयल गांव में की देर शाम एक साथ चार मजदूरों का शव पहुंचा तो चीख-पुकार मच गई.
शव आने की सूचना पर ग्रामीणों की भीड़ मृतकों के घर पहले से ही जुटी थी. शव पहुंचते ही मृतकों के परिजनों में कोहराम मच गया. चारों-तरफ चीख-पुकार मच गई. मृतकों के परिजनों को रोते देख मौजूद लोगों की आंखें भी नम हो गईं. वहीं पीरो के रकटू टोला के रहने वाले किशोर चंदन कुमार का शव भी विशेष बस से अन्य चारों मृतकों के साथ आया पर उसे कुसुम्ही मोड़ उतार गांव ले जाया गया. चंदन के घर में भी परिजनों को शव आने का इंतजार था. उसके घर में भी पहले से ही चीख-पुकार मची थी. कोयल गांव के चारों मजदूरों का देर रात तक गांव में ही दाह संस्कार कर दिया गया. इसके पहले गम व गुस्से के बीच चारों की अर्थियां एक साथ उठ गईं. बता दें कि बीते की सुबह उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर स्थित लोहियानगर की एक अवैध पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट के दौरान कोयल गांव के रूपन साह, अयोध्या राम, प्रयाग कुमार व सुनील ठाकुर समेत रकटू टोला के चंदन कुमार की मौत हो गई थी. मौत की सूचना पर सभी के परिजन मेरठ के लिए रवाना हो गये थे. वहां शव की पहचान करने और पुलिस की ओर से सभी शवों के पोस्टमार्टम कराने के बाद परिजनों के साथ विशेष बस की व्यवस्था कर गांव भेजवाया गया था.

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शव आने के बाद अंतिम संस्कार की तैयारी की जा रही थी.
कोयल में मृतक मजदूरों के घर पहुंचे कई नेता
मेरठ में कोयल गांव के चार मजदूरों की मौत और शव आने की सूचना पर जिले की कई राजनितिक पार्टियों के नेता व कार्यकर्ता पहुंचे. नेताओं ने मृतक के परिजनों को सांत्वना देने के साथ सरकार और प्रशासन से उचित मुआवजे की मांग व सरकारी नौकरी देने की मांग की. भाजपा जिलाध्यक्ष दुर्गा राज के नेतृत्व में पार्टी के कई नेता राम दिनेश यादव, विक्की सिंह, अशोक सिंह व धरम ठाकुर पहुंचे थे. लोजपा रा पार्टी के जिलाध्यक्ष राजेश्वर पासवान, उपाध्यक्ष ललन यादव, सुरेंद्र आजाद, सोनू पासवान, रंजीत पासवान समेत कई लोग पहुंचे थे. सभी ने पीड़ित परिजनों को सांत्वना दिया और सरकार व प्रशासन से उचित मुआवजे की मांग उठाई.

मातम की भेंट चढ़ा कोयल गांव का दशहरा
चरपोखरी. चरपोखरी के कोयल गांव में एक साथ चार लोगों का शव मेरठ से आने पर चारों की अर्थियां भी एक साथ उठीं. गांव के चार लोगों की मौत और अर्थी उठने के बाद गांव में आयोजित दुर्गापूजा मातमी माहौल की भेंट चढ़ गयी. गांव के लोग मृतकों के घर परिजनों को सांत्वना देने और दाह संस्कार में जुटे थे. गांव के लोगों का कहना था कि इस साल का दशहरा गांव के लिए शुभ नहीं है. गांव में पूजा पंडाल तो बना है, लेकिन चारों ओर मायूसी छायी है. दशहरे का रंग फीका हो गया है.

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