कसौली। खुशवंत सिंह लिटरेचर फैस्टीवल के तीसरे व अंतिम दिन की शुरूआत वेदा डोगर के मंत्रमुग्ध कर देने वाले गीत वी आर द वर्ल्ड के साथ हुई। उसके बाद अगले सैशन में सारा जैकब और त्रिपाठी के बीच द हैप्पीनैस हाइपोथेसिस पर चर्चा हुई। उसके उपरांत नई आवाजें नई क्रांति पर सामूहिक चर्चा में किरण दीप संधू, राजन कश्यप के साथ भरत अलवानी में चर्चा हुई। खुशवंत सिंह लिटरेचर फैस्टीवल के आखिरी दिन फिल्मी सितारे राज बब्बर और उनका परिवार भी पहुंचे। राज बब्बर, जूही बब्बर सोनी और अनूप सोनी के बीच लाइट कैमरा एक्शन को लेकर काफी चर्चा हुई। उनके पारिवारिक जीवन के बारे में भी अनूप सोनी ने राज बब्बर से प्रश्न किए। राज बब्बर ने सवालों का जवाब देते हुए बताया कि मैं सिर्फ एक्टर बनना चाहता था। एक्टर बनना मेरा पहला प्यार था। इब्राहिम जो मेरे उस्ताद थे। उन्होंने ही मुझे इस लायक बनाया। उन्होंने बताया कि मुझे एक फिल्म मिली और बहुत अच्छी फिल्म थी। उसकी स्क्रीनिंग चल रही थी। मुझे सिलैक्ट भी कर लिया गया परंतु आखिरी समय में मुझे उस फिल्म से बाहर होना पड़ा और मैं बहुत मायूस हुआ। मेरे उस्ताद ने कहा कि दलीप जी ने तुम्हारा काम पसंद किया है। तुम बहुत अच्छा काम कर रहे हो। इसी प्रकार काम करते रहो। इंसाफ के तराजू से पहले मैंने 14 फिल्मों में काम किया लेकिन ख्याति इंसाफ की तराजू से मिली।
इसी के साथ जूही बब्बर सोनी से सवाल किए गए। जूही बब्बर ने इस बात को भी सबके सामने रखा कि मेरे पापा ने एक बेटी को बॉलीवुड में लाॅन्च किया है, मैं बहुत खुशनसीब हूं। राज बब्बर ने कहा कि मैं फिल्म इंडस्ट्री में काम कर रहा था। मैं चाहता था कि मेरी बेटी पहले पढ़ ले। उन्होंने कहा कि फिल्मी जगत में इतने लंबे सफर में बहुत कुछ सिखा दिया है। मैं आजकल नए-नए नौजवान चेहरे को अभिनय करते हुए देखता हूं। जो खानदानी फिल्मी जगत से जुड़े हुए लोगों के घरों से आते हैं परंतु उनकी अपनी पहचान नहीं बन पाती। ऐसा ही मेरी बेटी के साथ भी पहली फिल्म में हुआ। अमिताभ बच्चन इतने बड़े फिल्मी सितारे हैं। उनके बेटे अभिषेक बच्चन के साथ भी यही हुआ कि अमिताभ बच्चन के चेहरे पर अभिषेक बच्चन अपनी पहचान नहीं बना पाए। मेरा यही तात्पर्य है कि पहले फिल्म इंडस्ट्री को जाना जाए और खुद को उसके काबिल बनाया जाए, पढ़ा-लिखा जाए। उसके बाद फिल्मों में डेब्यू किया जाए, उसके बाद फिल्म करें। उनसे राजनीति के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने बताया कि मैं राजनीति में दोस्त की वजह से आया। 3 बार जीता, एक बार हारा, 27 साल सांसद रहा।
इसके अलावा विक्रमजीत सिंह साहनी और बच्ची करकारिया के बीच सेव अ वे ऑफ लाइफ पर चर्चा हुई। उन्होंने बताया कि कोविड के दौरान हर एक परिवार ने किसी न किसी को खोया है परंतु उस समय जब हमने देखा कि इतना ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की जरूरत पड़ रही है। तो हमने सेवा करने का प्रयास किया और पंजाब और दिल्ली में मिलजुल कर ऑक्सीजन के प्रबंध करने में सहायता की। विक्रमजीत सिंह साहनी एक भारतीय उद्यमी, शिक्षाविद् और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। साहनी को भारत की तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल द्वारा पद्मश्री और अंतर्राष्टीय शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इस वर्ष के उत्सव को मधुर स्वर में सम्पन्न करने के लिए मीनू बख्शी ने सभी को अपनी मधुर आवाज से मोहित कर दिया। मीनू बख्शी एक कवयित्री, गायिका, स्पेनिश की प्रोफैसर, सामाजिक कार्यकर्ता, पंजाबी लोक संगीत की प्रस्तुति के लिए प्रसिद्ध हैं।
c