लखीसराय। जिले के पिपरिया प्रखंड के सैदपुरा पंचायत के बेलथुआ ग्राम मे मीना किशोरी समूह तथा किशोरी के माता ,पिता के साथ बैठक किया गया । जिसमें उड़ान परियोजना के तहत बाल रक्षा भारत एवं यूनिसेफ के प्रखंड समन्वयक राज अंकुश शर्मा के सहयोग से बाल अधिकार ,सामाजिक व्यवहार में बदलाव के साथ – साथ बाल – विवाह एवं दहेज प्रथा ऐसी कृतियां है जो बच्चियों तथा महिलाओं को न सिर्फ समान अवसर प्रदान करने की दिशा में बाधक बन रही है । बल्कि उसके शारीरिक और मानसिक विकास को भी प्रतिकूल ढंग से प्रभावित कर रही है । बाल विवाह लड़कियों के शारीरिक, मानसिक एवं मनोवैज्ञानिक विकास को प्रभावित करता है । वे विवाह के बाद परिस्थितियों के लिए तैयार नहीं होती है और इसका प्रतिकूल प्रभाव उसके स्वास्थ्य पर पड़ता है। परिणामस्वरूप ऐसी माताएं अस्वस्थ और कम विकसित शिशु को जन्म देती है और आगे चलकर ये बच्चे कुपोषण,बौनेपन एवं मंदबुद्धि के शिकार हो जाते हैं । पुनः राज अंकुश द्वारा बताया गया कि बाल विवाह और दहेज प्रथा के विरुद्ध वर्तमान में विशिष्ट कानून लागू है। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के प्रावधानों के अनुसार लड़कों एवं लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 निर्धारित है। इससे कम उम्र की शादी करना कानूनन अपराध है । 18 साल से कम उम्र में शादी करने करने पर पकड़े जाने पर एक लाख जुर्माना 2 साल तक के श्रम सजा है । वहीं दहेज प्रथा अधिनियम 1961 के अनुसार दहेज का लेन-देन भी कानूनन अपराध है। अंत मे बाल सहायता नम्बर 1098 एवं महिलाओं के सहायता हेतु 181 के बारे में विस्तृत चर्चा किया । मौके पर विद्यालय के प्रधानाध्यापिका प्रियंका कुमारी एंव विकास मित्र चंदा कुमारी भी मौजूद थे।