बिहार के इस मंदिर में खुद का श्राद्ध करने पहुंच जाते हैं लाखों लोग, जानें क्यों

हिन्दू धर्म में पिंड दान करना बेहद ही शुभ कार्य माना जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार पितृपक्ष में मृत परिजनों का दिन दान करना सनातन काल से शुभ माना जाता है। इस साल श्राद्ध पक्ष यानी पिंड दान 29 सितंबर से लेकर 14 अक्टूबर तक है। पिंड दान के विशेष मौके पर हर दिन हजारों लोग हरिद्वार, अयोध्या, वाराणसी और प्रयागराज में पिंड दान के लिए पहुंचते रहते हैं। लेकिन बिहार में एक ऐसा मंदिर है जिसके बारे में कहा जाता है कि यहां मृत परिजनों के साथ-साथ खुद का पिंड दान करने के लिए लोग पहुंचते रहते हैं। आइए इसके बारे में जानते हैं।

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बिहार के गया शहर में है मंदिर जी हां, जिस मंदिर के बारे में जिक्र कर रहे हैं, वो मंदिर बिहार के गया शहर में मौजूद है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि मंदिर परिसर में सिर्फ मृत परिजनों का ही नहीं, बल्कि कोई लोग खुद का श्राद्ध करने पहुंच जाते हैं। यह मंदिर गया के भस्म कूट पर्वत पर मौजूद है। आपको बता दें कि बिहार का गया शहर पिंड दान के लिए पूरे भारत में एक फेमस जगह है। यहां देश के हर कोने से लोग गया में पिंड दान करने के लिए पहुंचते हैं। गया से कुछ ही दूरी पर मौजूद बोधगया शहर को बुद्ध की नगरी के नाम से भी जाना जाता है। कई लोग पितृ पक्ष के मौके पर गया और बोधगया में मौजूद फल्गु नदी के किनारे पिंड दान करते हैं।

विष्णु जनार्दन स्वामी मंदिर में करते हैं खुद का श्राद्ध कहा जाता है कि जिस मंदिर परिसर में लोग खुद का श्राद्ध करते हैं, उसका नाम ‘विष्णु जनार्दन स्वामी मंदिर’ है। मान्यता है कि यहां परिजनों की आत्म को पिंड दान करने से स्वर्ग में मोक्ष प्राप्त होता है। इसके अलावा पिंड दान करने के बाद वो व्यक्ति धार्मिक तौर पर दान और कर्मकांड करता है, तो उसे आत्मा की शांति मिलती है। इसलिए कई लोग दान और कर्मकांड करके खुद का श्राद्ध करते हैं। मान्यता है कि यहां जो भी खुद का श्राद्ध करने आते हैं वो दाहिने हाथ से भगवान विष्णु जनार्दन को पिंड दान ग्रहण कराते हैं। (कैसे बनी बोधगया ज्ञान की नगरी?)

विष्णु जनार्दन स्वामी मंदिर की पौराणिक कथा विष्णु जनार्दन स्वामी मंदिर की पौराणिक कथा बेहद ही दिलचस्प है। मंदिर का इतिहास हजारों साल प्राचीन बताया जाता है। मान्यता के अनुसार यह मंदिर 45 देवियों में से एक वेदी के रूप में विख्यात है। विष्णु जनार्दन स्वामी मंदिर को लेकर कहा जाता है कि इसका जिक्र पुराणों में भी मिलता है। इसलिए यहां काफी अधिक संख्या में लोग पिंड दान करने के लिए पहुंचते हैं। आपको बता दें कि यह मंदिर चट्टानों से निर्मित है। यहां जो भी सच्चे मन से पिंड दान करने पहुंचता है उसकी सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती है। (गया में घूमने की जगहें)

विष्णु जनार्दन स्वामी मंदिर कैसे पहुंचें? देश के किसी भी हिस्से से गया पहुंचना बहुत ही आसान है। इसके लिए आप ट्रेन, हवाई या सड़क मार्ग से भी पहुंच सकते हैं। ट्रेन से- आप ट्रेन के माध्यम से आसानी से गया पहुंच सकते हैं। इसके लिए दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई आदि कई बड़े शहरों से गया शहर के लिए ट्रेन चलती है। इसके अलावा देश के किसी भी हिस्से से ट्रेन पकड़कर बिहार की राजधानी पटना भी पहुंच सकते हैं। पाटन रेलवे स्टेशन से गया की दूरी करीब 118 किमी है। हवाई सफर से- अगर आप हवाई सफर के माध्यम से गया पहुंचना चाहते हैं, तो आप हवाई अड्डा पहुंच सकते हैं, क्योंकि सबसे पास में पटना हवाई अड्डा ही है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पटना रेलवे स्टेशन और हवाई अड्डा से टैक्सी, कैब या लोकल बस लेकर आसानी से विष्णु जनार्दन स्वामी मंदिर पहुंच सकते हैं। सड़क मार्ग से- गया शहर बिहार के लगभग हर शहर से जुड़ा हुआ है। इसके लिए पटना, आरा, छपरा, समस्तीपुर, बेगुसराय, बलिया, भागलपुर, दरभंगा और मधुबनी शहर से सड़क माध्यम से आसानी से पहुंच सकते हैं। गया में ठहरने और खाने-पीने की जगहें गया में ठहरने के लिए सस्ते से सस्ते कमरे आसानी से मिल जाते हैं। इसके लिए आप रिलैक्स होटल, रॉयल गेस्ट हाउस, होटल उत्सव और होटल आस्था उत्सव में 300-500 रुपये के अंदर कमरे बुक कर सकते हैं। गया में खाने-पीने ऐसे कई होटल और रेस्टोरेंट मिल जाएंगे, जहां आप 100 रुपये के अंदर में पेट भरकर खाना सकते हैं। जैसे- गौरव रेस्टोरेंट, सुजाता रेस्टोरेंट और खुशी फैमिली रेस्टोरेंट जा सकते हैं। आपको बता दें कि ये होटल और रेस्टोरेंट गया रेलवे स्टेशन से करीब 3-4 किमी की दूरी पर हैं।

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